अयोध्या के दीपोत्सव में जगमगाएंगे लखीमपुर की धरती के 25 हजार गोबर दीए, महिलाओं की मेहनत बनी मिसाल

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अयोध्या के दीपोत्सव में जगमगाएंगे लखीमपुर की धरती के 25 हजार गोबर दीए, महिलाओं की मेहनत बनी मिसाल

लखीमपुर खीरी, 14 अक्तूबर।
भव्य दीपोत्सव की तैयारियों के बीच अयोध्या इस बार सिर्फ तेल और मिट्टी के दीयों से रोशन नहीं होगी बल्कि लखीमपुर की मिट्टी, श्रम और सौंधी संस्कृति भी वहां चमकेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के “इको-फ्रेंडली दीपोत्सव” अभियान को साकार करते हुए जनपद लखीमपुर खीरी ने एक अनोखा योगदान देकर न सिर्फ पर्यावरण-संरक्षण का संदेश दिया, बल्कि आत्मनिर्भरता की राह भी रोशन की।

सीडीओ की पहल और महिलाओं की सृजनशीलता का संगम

मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक कुमार की पहल पर आकांक्षी विकास खंड धौरहरा में एक अनोखा प्रयोग शुरू किया गया। बीडीओ संदीप कुमार के नेतृत्व में स्वयं सहायता समूहों और ग्रामीण महिलाओं ने कमाल कर दिखाया—गोबर से बनाए 25 हजार पर्यावरण-संवेदनशील दीपक तैयार कर प्रदेश के सामने एक प्रेरणादायक उदाहरण पेश किया।

महिलाओं ने कुछ ही दिनों में मेहनत, हुनर और जज्बे के साथ ऐसे दीए तैयार किए, जिनका इस्तेमाल अब अयोध्या के दीपोत्सव में हजारों दीयों के बीच विशेष पहचान के साथ किया जाएगा।

हरी झंडी दिखाकर रवाना किए गए दीपक

मंगलवार को सीडीओ अभिषेक कुमार ने प्रशिक्षु आईएएस मनीषा धारवे के साथ विकास भवन परिसर से दीपकों से भरे वाहन को हरी झंडी दिखाकर अयोध्या के लिए रवाना किया। यह पल सिर्फ एक रस्म नहीं था, बल्कि मिट्टी की खुशबू, महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बन गया।

अब ये गोबर के इको-फ्रेंडली दीपक राम की पैरी (अयोध्या धाम) की पवित्र भूमि पर जलकर लखीमपुर का नाम रोशन करेंगे।

“रोशनी ही नहीं, स्वावलंबन का उत्सव” — सीडीओ

सीडीओ अभिषेक कुमार ने कहा—

“अयोध्या का दीपोत्सव केवल रोशनी का पर्व नहीं, बल्कि जनसहभागिता और आत्मनिर्भरता का उत्सव है। लखीमपुर की महिलाओं ने अपने श्रम और कौशल से जो योगदान दिया है, वह हम सबके लिए गर्व की बात है।”

उन्होंने आगे कहा कि इस अभियान ने महिला समूहों को आजीविका का एक नया माध्यम दिया है, जिससे पर्यावरण भी संरक्षित हो रहा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।

स्वावलंबन और आय का नया अवसर

बीडीओ धौरहरा संदीप कुमार ने बताया कि कम समय में इतने बड़े पैमाने पर दीए तैयार करना आसान नहीं था, लेकिन महिलाओं ने इसे चुनौती नहीं बल्कि अवसर की तरह लिया।
गोबर के इन दीयों ने:

आर्थिक संबल दिया
स्थानीय संसाधनों का सदुपयोग किया
ग्रामीण नवाचार को बढ़ावा दिया
स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण को जोड़ा

ग्रामीण महिलाओं की मेहनत और कल्पनाशीलता से तैयार हर दीया आत्मनिर्भर भारत की सोच को उजाला देने जा रहा है।

प्रेरणा बना ये संदेश

अभियान का नारा ही स्वयं में संदेश है—
“गोबर का हर दीया, आत्मनिर्भर भारत की ज्योति है।”

यह केवल शब्द नहीं, बल्कि उस सोच का विस्तार है जिसमें कचरे को संसाधन में बदलने की क्षमता है और कला को आय में परिवर्तित करने की दृष्टि।

अयोध्या में खिलेगी लखीमपुर की खुशबू

जैसे ही ये दीपक रामनगरी में जलेंगे, लखीमपुर के गांवों की परिश्रमभावना और संस्कृति की छाप प्रदेश ही नहीं, पूरे देश के सामने आएगी। यह पहल बताती है कि त्योहार केवल उत्सव नहीं, बल्कि सामूहिक चेतना और संवेदनशीलता के अवसर भी हैं।


यह सिर्फ दीयों की खेप नहीं, बल्कि 25 हजार स्वराज्य की लौ है, जो अयोध्या में जलकर लखीमपुर की मिट्टी, मातृशक्ति और पर्यावरण चेतना को अमर करने जा रही है।

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