किसानों ने पीएम का उद्बोधन सुना, “प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना” का किया सजीव अवलोकन — कृषि विज्ञान केंद्र मंझरा में जई के बीज वितरित
लखीमपुर खीरी, 11 अक्तूबर।
देश के किसानों के लिए शनिवार का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना” का शुभारंभ कर किसानों को 42,000 करोड़ रुपये की सौगात दी। इस अवसर पर मंझरा स्थित भा.कृ.अनु.प.–कृषि विज्ञान केन्द्र-II (भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ) में कार्यक्रम का सजीव प्रसारण किया गया, जहां कुल 338 किसान एकत्र हुए और ऑनलाइन माध्यमों से भी जुड़कर प्रधानमंत्री का उद्बोधन सुना।
11 मंत्रालयों की 36 योजनाएँ एक मंच पर — बड़े बदलाव की शुरुआत
यह योजना विशेष रूप से उल्लेखनीय इसलिए है क्योंकि यह 11 मंत्रालयों की 36 केंद्र सरकार की योजनाओं का एकीकरण है, जिससे किसानों को लाभ एक ही प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्राप्त होगा। प्रधानमंत्री ने इसी कार्यक्रम के दौरान दलहन आत्मनिर्भरता मिशन की शुरुआत करते हुए कृषि अवसंरचना कोष, पशुपालन, मत्स्य पालन एवं खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े 1100 से अधिक प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन एवं शिलान्यास भी किया।

कृषि विज्ञान केंद्र-II में हुआ भव्य आयोजन
कार्यक्रम का आयोजन भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के निदेशक डॉ. दिनेश सिंह के मार्गदर्शन में किया गया।
वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार सिंह ने सभी किसानों का स्वागत करते हुए मौसम के अनुसार फसलों एवं पशुधन की देखभाल के लिए उपयोगी सुझाव दिए। साथ ही खुरपका-मुंहपका एवं गलाघोंटू रोग से बचाव के लिए समय पर टीकाकरण कराने की अपील की।
उद्यान विशेषज्ञ आर्य देश दीपक मिश्रा ने फलों, फूलों और सब्जियों की वैज्ञानिक खेती पर विस्तृत जानकारी दी। जबकि पादप संरक्षण विशेषज्ञ डॉ. विवेक कुमार पांडेय ने कीटनाशकों एवं रोगनाशकों के सुरक्षित और प्रभावी उपयोग पर किसानों को मार्गदर्शन दिया।
प्रगतिशील किसानों ने बांटा अनुभव — 150 कृषकों में जई के बीज वितरित
कार्यक्रम में देवकली निवासी प्रगतिशील किसान महेंद्र यादव और निघासन के अरविंद सिंह ने अपने खेती के अनुभव साझा किए, जिससे अन्य किसानों को नई प्रेरणा मिली। इसके पश्चात चारा उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 150 कृषकों में जई के बीजों का नि:शुल्क वितरण किया गया।
प्रक्षेत्र भ्रमण और समापन
प्रक्षेत्र प्रबंधक संजीव कुमार सिंह ने किसानों को खेतों का भ्रमण कराया और प्रयोगात्मक विधियों को practically समझाया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में शुभम गुप्ता, अमरेन्द्र प्रताप सिंह और अनूप शर्मा का विशेष योगदान सराहनीय रहा।
अंत में केंद्र प्रमुख ने सभी कृषक बंधुओं को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम का समापन किया।
यह आयोजन न सिर्फ योजनाओं की जानकारी देने तक सीमित रहा, बल्कि किसानों को वैज्ञानिक खेती, रोग प्रबंधन और पोषण सुरक्षा के प्रति जागरूक करने का भी सशक्त माध्यम बना — वास्तव में यह दिवस किसान सशक्तिकरण का प्रतीक बन गया।
