जिला कारागार परिसर में गौशाला की स्थापना, डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल ने किया उद्घाटन

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लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश।
जिला प्रशासन की एक सराहनीय और सामाजिक रूप से प्रेरणादायक पहल के तहत लखीमपुर खीरी के जिला कारागार परिसर में गौशाला की स्थापना की गई है। इस अनूठी योजना का शुभारंभ जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल और पुलिस अधीक्षक संकल्प शर्मा ने संयुक्त रूप से फीता काटकर और शिलापट का अनावरण करके किया।

इस अवसर पर जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने कहा कि गौशाला केवल एक पशु संरक्षण केंद्र नहीं है, बल्कि यह एक मानवीय प्रयास है जो दो महत्वपूर्ण उद्देश्यों को साधने का प्रयास करता है। पहला – निराश्रित और बेसहारा गोवंश को सुरक्षित आश्रय उपलब्ध कराना, और दूसरा – जेल में बंद बंदियों को सेवा, जिम्मेदारी और पुनर्वास के कार्यों से जोड़कर उन्हें समाज की मुख्यधारा में वापस लाना।

उन्होंने बताया कि इस गौशाला का संचालन पूरी तरह से बंदियों द्वारा किया जाएगा। इससे जहां एक ओर गोसेवा की भावना का विकास होगा, वहीं दूसरी ओर बंदियों को आत्मनिर्भरता, सहयोग और सामाजिक जिम्मेदारी जैसे गुणों से जोड़ने का अवसर भी मिलेगा। डीएम ने कहा कि इस प्रयोग से जेल को केवल एक दंड स्थान नहीं बल्कि सुधार और पुनः निर्माण का केंद्र बनाया जा रहा है।

पुलिस अधीक्षक संकल्प शर्मा ने भी इस अभिनव प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि कारागार प्रशासन द्वारा इस तरह की सामाजिक रूप से संवेदनशील योजनाओं को अपनाना समाज के लिए एक सकारात्मक संदेश है। उन्होंने कहा कि गौशाला के माध्यम से न केवल गोवंश की रक्षा होगी बल्कि बंदियों को नई दिशा और उद्देश्य भी मिलेगा, जो भविष्य में उनके जीवन को बदलने में मददगार सिद्ध हो सकता है।

जिला कारागार के अधिकारियों ने बताया कि प्रारंभिक चरण में गौशाला में करीब 20 निराश्रित गोवंश को रखा गया है। इनकी देखरेख, चारा-पानी, साफ-सफाई और आवश्यक चिकित्सकीय देखभाल की जिम्मेदारी प्रशिक्षित बंदियों को सौंपी गई है। आने वाले समय में इस गौशाला का और विस्तार करने की योजना है।

इस अवसर पर जिले के वरिष्ठ अधिकारी, कारागार प्रशासन के प्रतिनिधि, स्थानीय जनप्रतिनिधि और सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान बंदियों द्वारा बनाई गई गोसेवा से संबंधित चित्रकारी और हाथों से बने सामान की प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसे अतिथियों ने सराहा।

इस पहल की सराहना जिले भर में हो रही है। यह कदम न केवल प्रशासनिक दूरदृष्टि का परिचायक है बल्कि समाज में सुधारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने वाला भी है। गौशाला की स्थापना जेल में बंद लोगों को नई जिंदगी की उम्मीद देने वाला प्रयास है, जहां वे आत्मग्लानि से बाहर निकलकर सेवा के मार्ग पर चल सकें।

समाज सेवा और सुधार का अनूठा संगम
यह गौशाला अब केवल गोवंश की देखभाल का केंद्र नहीं है, बल्कि एक प्रयोगशाला है – जहां सेवा, दया और पुनर्वास का अभ्यास हो रहा है। यह पहल भविष्य में राज्य के अन्य जिलों के लिए भी एक आदर्श मॉडल बन सकती है।

लखीमपुर खीरी जिला प्रशासन ने यह साबित कर दिया है कि यदि इच्छाशक्ति हो और सोच सकारात्मक हो, तो जेल की चारदीवारी भी सेवा, सुधार और संवेदना की मिसाल बन सकती है।

**—रिपोर्ट: आप तक

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