जिला जज का जिला जेल का पहला निरीक्षण: महिला बैरक से गौशाला तक, व्यवस्थाओं की ली विस्तृत समीक्षा

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जिला जज का जिला जेल का पहला निरीक्षण: महिला बैरक से गौशाला तक, व्यवस्थाओं की ली विस्तृत समीक्षा

लखीमपुर, 14 अक्टूबर 2025।
जनपद में पदभार ग्रहण करने के बाद जिला जज शिव कुमार सिंह ने मंगलवार को पहली बार जिला कारागार का औचक निरीक्षण किया। उनके साथ विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एडीजे वीरेंद्र नाथ पांडेय और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) प्रमोद यादव भी उपस्थित रहे। इस निरीक्षण का उद्देश्य बंदियों की स्थिति, विधिक सहायता, स्वास्थ्य सुविधाओं और कारागार में संचालित व्यवस्थाओं का प्रत्यक्ष रूप से आकलन करना था।


महिला बैरक में बंदियों से संवाद, बच्चों को दिया स्नेह

निरीक्षण की शुरुआत महिला बैरक से हुई। यहां निरुद्ध 37 महिला बंदियों से जिला जज ने उनके मुकदमों की अद्यतन जानकारी ली। उन्होंने पूछा कि उन्हें सरकारी वकील की सुविधा मिल रही है या नहीं, और यह सुनिश्चित किया कि कोई भी महिला बंदी विधिक सहायता से वंचित न हो।

महिला बैरक में निरुद्ध तीन छोटे बच्चों को जिला जज ने स्वयं बिस्कुट वितरित किए। मासूम बच्चों के चेहरों पर मुस्कान और सहजता देखते ही बनती थी। इस भावनात्मक पहल ने जेल अधिकारियों और अन्य कर्मियों को भी सकारात्मक संदेश दिया।


गौशाला में गोवंश के प्रति संवेदना का प्रदर्शन

महिला बैरक के निरीक्षण के बाद जिला जज जेल परिसर स्थित गौशाला पहुंचे। यहां उन्होंने गोवंश को फल खिलाए और उनकी देखभाल की व्यवस्थाओं को देखा। यह कदम न केवल पशु संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि जेल में संचालित गौशाला व्यवस्था का मानवीय पक्ष भी सामने लाता है।


जेल अस्पताल में इलाजरत बंदियों से मिली जानकारी

इसके बाद जिला जज ने जेल अस्पताल का भी गहन निरीक्षण किया। यहां उन्होंने वर्तमान में इलाजरत 11 बंदियों की स्थिति, उपचार और दवाओं की उपलब्धता के बारे में जानकारी ली।
जेल चिकित्सक डॉ. दीपान्तर रावत से उन्होंने स्वास्थ्य व्यवस्थाओं और चिकित्सीय रिकॉर्ड की विस्तार से समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिए कि बीमार बंदियों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण और समय पर उपचार सुनिश्चित किया जाए।


भोजन की गुणवत्ता की जांच, पाकशाला में किया निरीक्षण

निरीक्षण के दौरान जिला जज ने जेल पाकशाला में चल रही भोजन निर्माण व्यवस्था को भी परखा। उन्होंने भोजन की गुणवत्ता, स्वच्छता और पोषण मानकों की जांच की। यह सुनिश्चित किया गया कि सभी बंदियों को समय पर और गुणवत्तापूर्ण खाना उपलब्ध हो।


बच्चा बैरक और सजायाफ्ता बंदियों पर विशेष फोकस

जिला जज ने बच्चा बैरक में निरुद्ध बंदियों से बातचीत की। उन्होंने उनकी उम्र, मुकदमों की स्थिति और पारिवारिक पृष्ठभूमि की जानकारी ली। इस दौरान सजायाफ्ता बंदियों पर विशेष ध्यान देते हुए उन्होंने कहा कि —

“प्रत्येक सजायाफ्ता बंदी की अपील समय से तैयार होकर उच्च न्यायालय को भेजी जाए।”

उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि अपील प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की देरी न हो और बेटी, वृद्ध या बीमार बंदियों के मामलों में प्राथमिकता बरती जाए।


विधिक सहायता से किसी को वंचित न रहने का निर्देश

जिला जज ने यह स्पष्ट किया कि किसी भी बंदी को विधिक सहायता से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने जेल प्रशासन और विधिक सेवा प्राधिकरण को यह सुनिश्चित करने को कहा कि जो भी बंदी वकील की सुविधा नहीं ले पा रहा है, उसकी तुरंत मदद की जाए।


अधिकारी रहे मौजूद, दिए गए अनुपालन के निर्देश

निरीक्षण के दौरान जेल अधीक्षक पी.डी. स्लैनिया, जेलर डी.के. वर्मा, डिप्टी जेलर डीपीएस राठौर, जेल अधिवक्ता मोहम्मद सईद खान और जेल चिकित्सक डॉ. दीपान्तर रावत उपस्थित रहे। जिला जज ने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि निरीक्षण में दी गई सभी आवश्यक सलाह और दिशा-निर्देशों का तत्काल अनुपालन किया जाए तथा रिपोर्ट समयबद्ध रूप से प्रस्तुत की जाए।


मानवीय दृष्टिकोण और प्रशासनिक सख्ती दोनों का संतुलित संदेश

जिला जज शिव कुमार सिंह का यह निरीक्षण मानवीय संवेदनाओं, न्यायिक जिम्मेदारी और प्रशासनिक सख्ती का संगम साबित हुआ।
महिला बंदियों की कानूनी स्थिति, बच्चों की मुस्कान, गौशाला की देखभाल, अस्पताल की व्यवस्थाएं और भोजन की गुणवत्ता—इन सभी पर प्रत्यक्ष नजर डालकर उन्होंने यह संदेश दिया कि कानून के दायरे में रहते हुए बंदियों के अधिकारों, सुविधाओं और कल्याण की अनदेखी नहीं होगी।

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