दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में ISIS आतंकी साकिब नचान की मौत, तिहाड़ जेल में था बंद

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दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में ISIS आतंकी साकिब नचान की मौत, तिहाड़ जेल में था बंद

नई दिल्ली।
दिल्ली के प्रतिष्ठित सफदरजंग अस्पताल में भर्ती आतंकवादी साकिब नचान की मौत हो गई है। वह तिहाड़ जेल में बंद था और हाल ही में ब्रेन हेमरेज के लक्षण सामने आने के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। साकिब नचान आतंकी संगठन ISIS से जुड़ा हुआ था और उस पर मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर वर्ष 2002-03 में हुए बम धमाकों का मुख्य आरोपी होने का आरोप भी था। उसकी मौत के बाद सुरक्षा एजेंसियों में हलचल मच गई है और मामले की जांच शुरू कर दी गई है।

जेल में तबीयत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती कराया गया

सूत्रों के अनुसार, साकिब नचान को कुछ दिनों पहले तिहाड़ जेल में अचानक सिरदर्द, उलझन और चक्कर आने की शिकायत हुई थी। शुरुआती जांच में ब्रेन हेमरेज की आशंका जताई गई, जिसके बाद जेल प्रशासन ने तत्काल उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में स्थानांतरित किया। इलाज के दौरान डॉक्टरों की एक विशेष टीम उसकी स्थिति पर निगरानी बनाए हुए थी। हालांकि सभी प्रयासों के बावजूद साकिब को बचाया नहीं जा सका और बीते रात उसकी मौत हो गई।

आतंकी गतिविधियों का लंबा इतिहास

साकिब नचान का नाम आतंकवाद से जुड़े कई मामलों में सामने आ चुका है। वह साल 2002-03 में मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर हुए बम धमाकों का मुख्य आरोपी था। इन धमाकों में कई निर्दोष लोग मारे गए थे और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे। इसके अलावा, साकिब पर भारत में आतंक फैलाने के उद्देश्य से युवाओं को कट्टरपंथ की ओर मोड़ने, उन्हें ISIS से जोड़ने और प्रशिक्षण दिलवाने के भी गंभीर आरोप थे।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और महाराष्ट्र ATS ने साकिब के खिलाफ कई मामलों में जांच की थी। बाद में उसे दिल्ली लाया गया, जहां उसे तिहाड़ जेल में उच्च सुरक्षा में रखा गया था। जेल में रहते हुए भी उस पर कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने के प्रयासों के आरोप लगे थे।

सुरक्षा एजेंसियों में सतर्कता

साकिब नचान की मौत के बाद केंद्रीय और राज्य सुरक्षा एजेंसियों में हलचल मच गई है। खुफिया एजेंसियों ने तिहाड़ जेल में बंद अन्य कट्टरपंथियों और संदिग्धों की सुरक्षा और गतिविधियों की समीक्षा शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि साकिब की मौत सामान्य स्वास्थ्य कारणों से हुई है, लेकिन किसी भी संभावित षड्यंत्र को नज़रअंदाज नहीं किया जा रहा है।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, जिसके बाद ही मौत के असल कारण की पुष्टि की जा सकेगी। इस मामले में जेल प्रशासन से भी रिपोर्ट मांगी गई है कि साकिब की तबीयत कब बिगड़ी और किन परिस्थितियों में उसे अस्पताल लाया गया।

जेलों में बढ़ती कट्टरपंथी गतिविधियों पर चिंता

साकिब की मौत एक बार फिर जेलों में सक्रिय कट्टरपंथी नेटवर्क पर सवाल खड़े कर रही है। बीते कुछ वर्षों में यह देखा गया है कि भारत की विभिन्न जेलों में बंद आतंकियों द्वारा अन्य बंदियों को कट्टर विचारधारा की ओर प्रेरित करने के कई मामले सामने आए हैं। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि जेलों में खासतौर से ऐसे आतंकियों की निगरानी और अलग व्यवस्था की आवश्यकता है।

परिवार ने जताई नाराजगी

साकिब नचान के परिवार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक परिवार ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है। परिजनों का कहना है कि साकिब की तबीयत पहले से खराब थी, लेकिन समय पर इलाज नहीं मिला।

अंतिम संस्कार को लेकर सुरक्षा प्रबंध

साकिब की मौत के बाद अब उसका शव परिवार को सौंपे जाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों ने अंतिम संस्कार के दौरान किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो, इसके लिए विशेष सुरक्षा इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। जहां-जहां साकिब के समर्थक होने की संभावना है, वहां भी स्थानीय पुलिस को सतर्क रहने के लिए कहा गया है।

निष्कर्ष

साकिब नचान की मौत भारत की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। हालांकि एक आतंकी की मौत से खतरा कम होता दिख सकता है, लेकिन यह भी एक संकेत है कि जेलों में मौजूद ऐसे तत्व अब भी व्यवस्था के लिए चुनौती बने हुए हैं। इस घटना ने फिर से यह सोचने पर मजबूर किया है कि आतंकवाद से जुड़े मामलों में न्याय प्रक्रिया के साथ-साथ कारावास की व्यवस्था भी कितनी कारगर और सुदृढ़ है।

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