मछुआरों की खुशहाली सरकार की प्राथमिकता: कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद ने अधिकारियों की बैठक में दिए सख्त निर्देश

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मछुआरों की खुशहाली सरकार की प्राथमिकता: कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद ने अधिकारियों की बैठक में दिए सख्त निर्देश

लखीमपुर खीरी, 14 अक्टूबर।
उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री एवं मत्स्य विभाग के मुखिया डॉ. संजय कुमार निषाद सोमवार को अपने निर्धारित कार्यक्रम के तहत जनपद लखीमपुर खीरी पहुंचे। उनके आगमन पर जिलाधिकारी डॉ. दुर्गा शक्ति नागपाल और पुलिस अधीक्षक संकल्प शर्मा ने पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया। मंत्री ने आगमन के तुरंत बाद एलआरपी स्थित लोक निर्माण विभाग के निरीक्षण भवन में उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की, जिसमें जिलाधिकारी, एसपी, सीडीओ, उपनिदेशक मत्स्य, एलडीएम, सिंचाई विभाग के अधिकारी और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों ने प्रतिभाग किया।

योजनाओं की गहन समीक्षा और स्पष्ट चेतावनी

बैठक में मंत्री ने मत्स्यपालकों और मछुआ समुदाय के लिए संचालित कल्याणकारी योजनाओं की बिंदुवार समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि मत्स्यपालकों की समस्याओं के समाधान में किसी प्रकार की देरी या उदासीनता न दिखाई जाए। उन्होंने डीएम और सीडीओ से जिले में चल रही प्रमुख परियोजनाओं का स्थलीय निरीक्षण सुनिश्चित कराने को कहा, ताकि योजनाओं की प्रगति और प्रभाव का प्रत्यक्ष आकलन हो सके।

डॉ. संजय निषाद ने सख्त लहजे में कहा कि योजनाओं की फाइलों में अद्यतन जानकारी दिखाना पर्याप्त नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित किया जाए कि लाभ वास्तविक मत्स्यपालकों तक समयबद्ध तरीके से पहुँचे। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि लापरवाही पाए जाने पर जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई तय होगी।

“मछुआरे सिर्फ मछली नहीं पकड़ते, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं”

बैठक के दौरान मंत्री ने कहा कि मछुआ समुदाय देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का जीवनधार है। उन्होंने कहा कि जिस तरह खेती किसानों के लिए जरूरी है, उसी तरह मछली पालन ग्रामीण आय और रोजगार का मजबूत माध्यम है। इसलिए मछुआरों की समृद्धि केवल उनके परिवार तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे गांव, ब्लॉक और जिले की आर्थिक स्थिति को मजबूत करती है।

मंत्री ने निर्देश दिया कि मत्स्यपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना से जोड़ा जाए। इससे वे आर्थिक रूप से सक्षम होंगे, आधुनिक उपकरणों का उपयोग कर सकेंगे और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि मत्स्य विभाग को हर ब्लॉक स्तर पर शिविर, गोष्ठियां और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कराना चाहिए।

योजनाओं का ज़मीनी प्रचार और पारदर्शिता पर जोर

उपनिदेशक मत्स्य सृष्टि यादव और मत्स्य निरीक्षक निखिल त्रिपाठी को मंत्री ने विशेष रूप से निर्देशित किया कि मछुआ दुर्घटना बीमा योजना, मत्स्यपालक कल्याण कोष, तथा चिकित्सा, शिक्षा और विवाह के लिए मिलने वाले अनुदान योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि योजनाओं की जानकारी केवल सरकारी कार्यालयों तक सीमित न रहे, बल्कि गांव-गांव और जलाशयों के आसपास तक पहुंचे।

उन्होंने यह भी कहा कि विभाग यह सुनिश्चित करे कि लाभ वास्तविक और पंजीकृत मत्स्यपालकों तक ही पहुंचे, न कि बिचौलियों तक। लाभार्थियों की सूची का सत्यापन, सुविधा का समय पर वितरण और ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की गति बढ़ाने पर भी बल दिया गया।

तकनीकी प्रशिक्षण और आधुनिक मत्स्य पालन पर फोकस

कैबिनेट मंत्री ने अधिकारियों को याद दिलाया कि आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक पद्धतियों के बिना ग्रामीण मत्स्य पालन अपनी पूरी क्षमता नहीं दिखा सकता। उन्होंने कहा कि मत्स्यपालकों को प्रशिक्षण देकर उन्हें उन्नत बीज उत्पादन, फीड प्रबंधन, तालाब विकास, और रिसर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (RAS) जैसी तकनीकों से परिचित कराया जाए।

उन्होंने सुझाव दिया कि मछली उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ मत्स्य आधारित स्वरोजगार जैसे प्रोसेसिंग यूनिट, आइस प्लांट और मार्केटिंग चैनल भी विकसित किए जाएं, ताकि मछुआ समुदाय की आय के अवसर कई गुना बढ़ें।

मीटिंग में रखी गई चुनौतियाँ और समाधान के निर्देश

जिले में मत्स्यपालकों की वर्तमान स्थिति, चुनौतियाँ और संसाधनों की उपलब्धता पर अधिकारियों ने मंत्री को विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। कई तालाबों की साफ-सफाई, जल स्तर, फीड की उपलब्धता, प्रशिक्षण व्यवस्था और बैंकों की प्रक्रियाओं को लेकर स्थिति बताई गई।

मंत्री ने हर विभाग को अपनी-अपनी जिम्मेदारी तय करते हुए स्पष्ट निर्देश दिए कि किसी मत्स्यपालक को योजनाओं की जानकारी या लाभ से वंचित न रहना पड़े। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के बजाय परिणाम ज़मीन पर दिखना चाहिए।

“मछुआरों की समस्याएं नहीं, समाधान दिखना चाहिए” – मंत्री का संकल्प

डॉ. संजय निषाद ने बैठक के समापन पर कहा कि सरकार की मंशा स्पष्ट है—“जो मछुआरे देश की नदियों, तालाबों और जलाशयों के रखवाले हैं, उन्हें सम्मान, सुविधा और सुरक्षा मिलनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि मत्स्यपालकों की खुशहाली से ही ग्रामीण विकास की नींव मजबूत होती है। इसलिए यह सुनिश्चित किया जाए कि योजनाएं सिर्फ कागज़ों पर नहीं, बल्कि ज़मीन पर उनके जीवन में बदलाव लाएं।

उन्होंने यह भी कहा कि अगली समीक्षा बैठक में जमीनी प्रगति ही उनके सामने रखी जाए। मंत्री के निर्देशों के बाद विभागों में हलचल तेज हो गई है और अधिकारी योजनाओं के तेजी से क्रियान्वयन में जुट गए हैं।

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