लखीमपुर खीरी: खबर छापने से बौखलाई प्रधानाध्यापिका, पत्रकार से की अभद्रता – कॉलर पकड़ कर की धक्का-मुक्की
ग्राम कीरतपुर के सरकारी विद्यालय में शिक्षा नहीं, दबंगई का बोलबाला!
लखीमपुर खीरी।
थाना खीरी क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत कीरतपुर में स्थित एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका की दबंगई का मामला सामने आया है। पत्रकार द्वारा विद्यालय की अनियमितताओं को लेकर की गई खबर से बौखलाई प्रधानाध्यापिका ने अब पत्रकार को ही निशाना बना लिया।
सूत्रों के अनुसार, कुछ दिन पूर्व एक स्थानीय पत्रकार ने विद्यालय में हो रहे टीसी में हेराफेरी और “आचरण अच्छा नहीं” को “अच्छा” बनाए जाने जैसी गंभीर अनियमितताओं की खबर साक्ष्यों के साथ प्रकाशित की थी। यह खबर सामने आने के बाद प्रधानाध्यापिका में गहरा आक्रोश था। इसी खुन्नस में उसने पत्रकार को विद्यालय बुलाया और वहां सार्वजनिक रूप से उसका कॉलर पकड़ कर अभद्रता की और धक्का-मुक्की भी की।
पत्रकार के बच्चों की टीसी और मार्कशीट रोकी गई
इस घटना की गंभीरता तब और बढ़ गई जब पीड़ित पत्रकार ने बताया कि प्रधानाध्यापिका ने निजी रंजिश में अब उसके बच्चों की स्थानांतरण प्रमाणपत्र (टीसी) और मार्कशीट को रोक दिया है। यह न केवल नैतिक रूप से निंदनीय है बल्कि कानूनी रूप से भी गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।
पत्रकारों में आक्रोश, सौंपेंगे ज्ञापन
पूरे घटनाक्रम को लेकर अब पत्रकार समुदाय में भी भारी आक्रोश है। जल्द ही जिलेभर के सैकड़ों पत्रकारों का एक प्रतिनिधिमंडल बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिलाधिकारी, और पुलिस अधीक्षक से मिलकर इस मामले में न्याय की मांग करेगा और संबंधित प्रधानाध्यापिका के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करेगा।
थाना खीरी में शिकायत, न्याय की गुहार
पीड़ित पत्रकार ने घटना के संबंध में थाना खीरी में लिखित प्रार्थना पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने स्पष्ट रूप से आरोप लगाया है कि यह हमला न केवल उनके पेशे को दबाने का प्रयास है, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी हमला है।
पत्रकार की मांग
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प्रधानाध्यापिका को तत्काल सस्पेंड किया जाए
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पत्रकार को धमकाने और मारपीट के मामले में एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी हो
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पत्रकार के बच्चों की टीसी और मार्कशीट बिना भेदभाव के तत्काल जारी की जाए
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विद्यालय की कार्यप्रणाली की निष्पक्ष जांच हो
क्या बोले स्थानीय लोग?
गांव के कई लोगों ने घटना की निंदा की है। उनका कहना है कि विद्यालय प्रशासन पहले से ही मनमानी कर रहा था और जब कोई पत्रकार सच्चाई उजागर करता है, तो उस पर ही हमला कर देना लोकतंत्र और कानून दोनों के लिए शर्मनाक है।
यह मामला न सिर्फ पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कुछ विद्यालयों में किस हद तक सत्ता का दुरुपयोग हो रहा है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले समय में ऐसी घटनाएं और भी गंभीर रूप ले सकती हैं।
