सीडीओ की पहल से बदलेगी खेती की तस्वीर: केला तने से रोजगार और आय बढ़ाने नवसारी रवाना हुए 25 कृषक
लखीमपुर खीरी जिले में कृषि को परंपरागत सोच से आगे ले जाकर नवाचार और उद्यमिता से जोड़ने का एक मजबूत प्रयास सामने आया है। केले की खेती से जुड़े किसानों के लिए अब सिर्फ फल ही नहीं, बल्कि उसका तना भी आय का स्रोत बनने जा रहा है। इसी उद्देश्य से जिले के 25 कृषक और स्वयं सहायता समूह सदस्यों को गुजरात के नवसारी कृषि विश्वविद्यालय में शैक्षणिक भ्रमण के लिए भेजा गया है।
इस दल को मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक कुमार ने विकास भवन परिसर से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। सीडीओ ने बस में सवार होकर स्वयं किसानों से बातचीत की और उन्हें पूरे उत्साह के साथ इस यात्रा के महत्व को समझाया।

सीडीओ ने कहा कि यह भ्रमण सिर्फ सीखने का अवसर नहीं, बल्कि जिले में नई सोच और नए रोजगार मॉडल लाने का माध्यम है। उन्होंने महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्यों से कहा कि आप यहां से जो भी सीखें, उसे अपने गांव की अन्य महिलाओं तक जरूर पहुंचाएं।
यह भ्रमण नाबार्ड के FSPF फंड से स्वीकृत “केला फाइबर आधारित उत्पाद” डीपीआर परियोजना के तहत आयोजित किया गया है। इस परियोजना का उद्देश्य केले के तने से फाइबर निकालकर उसे उत्पादक उपयोग में लाना है।
दल नवसारी कृषि विश्वविद्यालय में केला फाइबर प्रोसेसिंग, मशीनों का संचालन, उत्पाद डिजाइन और बाजार से जुड़ी जानकारी प्राप्त करेगा। इससे किसानों को न केवल तकनीकी ज्ञान मिलेगा, बल्कि उद्यमिता के नए रास्ते भी खुलेंगे।
नाबार्ड के डीडीएम प्रसून ने बताया कि इस परियोजना में तीन मुख्य गतिविधियां शामिल हैं—केला फाइबर इंजीनियरिंग बोर्ड, वर्मी कम्पोस्ट और तरल उर्वरक निर्माण, तथा हस्तशिल्प उत्पादों का विकास। उन्होंने कहा कि केला तने से मिलने वाला फाइबर किसानों को अतिरिक्त आय देता है और पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक है।

उन्होंने बताया कि सामान्यतः खेत में पड़े केले के तने को जलाया या फेंका जाता है, लेकिन अब वही तना किसानों के लिए कमाई का जरिया बन रहा है। प्रति तना 10 रुपये तक की आय किसानों को मिलने लगी है।
परियोजना के अंतर्गत जिले के 50 कृषक और 100 स्वयं सहायता समूह सदस्य लाभान्वित किए जाएंगे। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ेगी।
कार्यक्रम में उपस्थित पीडी डीआरडीए, एआरसीएस, एलडीएम और सीवीओ ने इस पहल को जिले के लिए मील का पत्थर बताया।
यह शैक्षणिक भ्रमण जिले के किसानों के लिए नई दिशा तय करेगा और केले की खेती को लाभकारी उद्यम में बदलने की नींव रखेगा।
