लखीमपुर: बच्चों के भविष्य से खिलवाड़, टीसी में ‘आचरण अच्छा नहीं’ को सांठगांठ कर ‘अच्छा’ बनाया गया
लखीमपुर खीरी।
शिक्षा के मंदिर माने जाने वाले विद्यालयों में यदि बच्चों के भविष्य के साथ ही खिलवाड़ होने लगे, तो यह न केवल चिंताजनक है, बल्कि एक गहरी सामाजिक और प्रशासनिक विफलता भी दर्शाता है। ताजा मामला नकहा ब्लॉक के ग्राम कीरतपुर स्थित प्राथमिक विद्यालय का है, जहां एक बेहद गंभीर और चौंकाने वाला मामला सामने आया है।
जानकारी के अनुसार विद्यालय प्रशासन द्वारा एक छात्र को स्थानांतरण प्रमाणपत्र (टीसी) जारी किया गया, जिसमें उसके “आचरण को अच्छा नहीं” बताया गया था। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि कुछ समय बाद उस टीसी को सांठगांठ के जरिए बदला गया और “आचरण अच्छा नहीं” को बदलकर “आचरण अच्छा” कर दिया गया।
अभिभावकों में रोष, उठे सवाल
इस पूरे घटनाक्रम के बाद गांव के अभिभावकों और ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया है। कई लोगों का कहना है कि जब एक बार विद्यार्थी का व्यवहार खराब बताया गया था, तो बाद में उसे बिना किसी वैध प्रक्रिया के कैसे सुधारा जा सकता है? क्या यह शिक्षा विभाग की छवि को धूमिल करने वाली बात नहीं है?
एक स्थानीय ग्रामीण ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि –
“विद्यालय में कुछ लोगों की मिलीभगत से ऐसा किया गया है। यह सिर्फ एक टीसी का मामला नहीं है, बल्कि यह उस सिस्टम पर सवाल खड़े करता है जो बच्चों के भविष्य का निर्धारण करता है।”
शिक्षक भी सवालों के घेरे में
यह भी सामने आया है कि स्कूल के कुछ शिक्षकों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। माना जा रहा है कि या तो दबाव में आकर या फिर किसी स्वार्थवश यह परिवर्तन किया गया। अब इस मामले में शिक्षा विभाग की निष्पक्षता भी कटघरे में है।
प्रशासन मौन, कार्रवाई नहीं
इस पूरे प्रकरण में अब तक शिक्षा विभाग या ब्लॉक शिक्षा अधिकारी की तरफ से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। ग्रामीणों की मांग है कि इस मामले की जांच होनी चाहिए और दोषी शिक्षकों या कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
भविष्य पर प्रश्नचिन्ह
यह मामला न केवल एक विद्यार्थी के चरित्र प्रमाणपत्र के साथ की गई छेड़छाड़ का है, बल्कि यह हमारे शिक्षा तंत्र की गंभीर खामियों को भी उजागर करता है। जिस तरह से “अच्छे आचरण” का प्रमाणपत्र छात्रों को भविष्य में स्कूल, कॉलेज, और नौकरियों में प्रवेश के समय जरूरी होता है, ऐसे में यदि इसे ही ‘सांठगांठ’ के माध्यम से बदला जा सकता है, तो फिर योग्यता और नैतिकता का क्या स्थान रहेगा?
क्या कहता है नियम?
शिक्षा विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, स्थानांतरण प्रमाणपत्र में किसी भी प्रकार का संशोधन केवल उच्चाधिकारियों की अनुमति से और ठोस कारणों के आधार पर ही किया जा सकता है। यदि इसमें अनियमितता पाई जाती है तो संबंधित अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई तय है।
ग्रामीणों की मांग
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इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए
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दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो
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बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा न जाए
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पूरे ब्लॉक के विद्यालयों की टीसी की जांच की जाए ताकि ऐसे और मामले उजागर हो सकें
यदि शिक्षा जैसी बुनियादी व्यवस्था में भी ईमानदारी और पारदर्शिता नहीं रही, तो फिर एक बेहतर समाज की कल्पना भी अधूरी रह जाएगी। सवाल यह है कि क्या इस मामले को शिक्षा विभाग गंभीरता से लेगा या यह भी एक ‘दबी हुई फाइल’ बनकर रह जाएगा?
